shiv chalisa in hindi No Further a Mystery
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यह�
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यह�